कविता

2 Part

609 times read

31 Liked

बेटी बन कर आई हूं इस धरा पर औरत बन विदा हो जाऊंगी इस बीच क्या क्या तंज सहे गर सुनाई वो दास्तां तो  सबकी आंखे नम कर जाऊंगी इसलिए तो ...

×