कविता

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बेटी बन कर आई हूं इस धरा पर औरत बन विदा हो जाऊंगी इस बीच क्या क्या तंज सहे गर सुनाई वो दास्तां तो  सबकी आंखे नम कर जाऊंगी इसलिए तो ...

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