चांँद

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शाम होते   ही  मुझे   चांँद    नज़र    आता   है। मेरे आंँखों  में आजकल  वो  उभर  आता   है। मन के आंँगन को अंँधेरों ने  जब भी घेरा तब। चांँद आंँखों से ...

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