अक्ष

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मंजिल को पाकर, आसमान में पंख फैलाऊगां।  पक्षी बनकर मेहनतों से अपनी, अपना आशियाना बनाऊंगा। आसमान की ऊंचाईयों को नाप, ज़मीन से नाता निभाऊंगा। गोद में उसकी रहकर, माटी का कर्ज ...

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