अनाज

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नव ग लहू जलाकर जल बनता है जल,जलकर बनती है हवाएं। कोई न समझा किसकी खुशबू महकाती     है  दशों  दिशाएं। एक सदी से बंजर भू पर जिसने पसीने का दरिया ...

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