साहिल

1 Part

280 times read

9 Liked

प्यासे ही रहे साहिल की रेत की तरह, दिन जलाए कभी किरणें लपेटकर, कभी सो गए लहरें ओढ़ कर, कितने कदम दिल से होकर गुजरे, कितनी स्मृतियाँ राहों में गुम गयीं, ...

×