सरल नहीं है बच पाना, अंतश मन के कोहाहल से। और सुष्मीना को आहत करते हुए हलाहल से। साहिल तक जाना टूटी कश्ती से तूफ़ानों में। सरल नहीं है डटकर लड़ना ...

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