आहिस्ते

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बरस  रहा   है  बुलांदी   पे  कहर    आहिस्ते। निगाह ए जश्न मुकम्मल है सफ़र  आहिस्ते। उसी    के    नाम   ज़िंदगी   में  ताज होती है। शुमार ए इश्क़ पर जिसे हो ...

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