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कली (दोहा) *********** नन्ही कली बगान की, तोड़ कुचलता आज। कैसी है यह वेदना, किसका हुआ समाज।। *** अपनी बगिया में खिली, कली बने इक फूल। महकाए घर आँगना, तोड़ करो ...