जीवन

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शीर्षक:- "जीवन नव किसलय हुआ नहीं" जीवन नव किसलय हुआ नहीं! मन भ्रमित हुआ है अंधकार में!! रश्मिया कहीं पर दिखीं नहीं! मद मस्त रहा मानव खुद में!! फिर पंखुड़ियाँ कभी ...

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