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परखता है रोज़ मेरे इरादों को गम जो थमने का नाम भी लेता बड़ा ढीठ है कमबख्त ज़ालिम ज़रा बदलने का नाम नहीं लेता परवाज़ रखते थे आसमाँ से ऊँची गिरे ...