मज़ा

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मैंने पूछा कोयल से पुकारती हो किसे  गुनगुनाने लगी वो बहार में मज़ा है  चले गए जो दूर किसी तलाश में  उस महबूब के इंतज़ार में मज़ा है  पतझड़ के दिन ...

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