Gazal

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गमें-दिल मेरा बढ़ाते तो कुछ और बात होती, तुम बाम पर न आते तो कुछ और बात होती। दिल में लगी जो आतिश सोजिश बनी है कबसे, तुम गर उसे बुझाते ...

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