21 Part
286 times read
15 Liked
रात है इज़तराब की चादर जैसे सेहरा सराब की चादर आग में हम झुलस गए इतने ओढ़ ली फिर अज़ाब की चादर एक मंज़र मैं सिमटे हम दोनो तान कर इन्त्साब ...