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ख़ामोशी प्रतियोगिता के लिए लब खामोश थे मेरे बोलने की वज़ह देते कभी कुछ कह सकूँ बेहिचक बस इतना सा हक दे देते छोड़ कर लक़ब को अपने कभी तो दोस्त ...