प्रेम

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प्रेम क्या लिखूं तुझपे शब्द नही है  जितना लिखू उतना कम है । धूप में छाव सा, सर्द में  गर्म सा खाने के स्वाद सा,   चीनी की मिठास सा तेरा ...

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