स्वैच्छिक

1 Part

286 times read

12 Liked

🌹🌹🌹* नग़मा * 🌹🌹🌹 बीत जाए न रुत यूँ ही बरसात की। क़द्र कुछ तो करो दिल के जज़्बात की। मौसम ए गुल है ऐसे न तड़पाओ तुम। पास आओ करम ...

×