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आज़ वक्त मेरा आया है। फ़िर से एक ख़्वाब जेहन में आया है।। किसी को जानने की ख्वाहिश नहीं अब, ख़ुद को सुनने का फितूर छाया है। किसी पर मर-मिटने की ...