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विषय किताब ख़्वाब देखें है बहुत मैंने ख्वाब बुनना नहीं आया मैं पढ़ता हूं बस किताबें चेहरा पढ़ना नहीं आया अता है तेरी ये दर्द ओ ग़म ख़ुदग़र्ज़ बनना नहीं आया ...