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जो भी मिलता हरेक शख्स नया पूछता था, शबे-वस्ल का हर कोई मज़ा पूछता था। मैंनें फ़रहाद को उसूले-मुहब्बत सिखाये थे, मजनू मुझसे सेहरा का रास्ता पूछता था। मुझसे ख़ैर-ओ-आफ़ियात की ...