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तू यहां देखे जो हर रोज अपराध छलनी क्यों ना हो सीना तेरा अग्नि क्यों ना धधके सीने में तेरे क्यों ठंडा पड़ा यहां हर अलाव पत्थरों को रगड़ दो धधकती ...