इंकार

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पुराने रस्म रिवाजों को  औरतों के कंधे लाद दिया  नाम देकर संस्कारों का  भार हम पर थोप दिया  छिनकर आजादी हमारी  महान हमें बना दिया  घर की चार दीवारों में  जहान ...

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