कविता

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ठंड की हवा तुम,  जैसे अचानक धूप में हवा का छोर,  वेसे ही अचानक सी आहट में तुम्हारा होना , खतों से शब्द बाहर आ गए , मानो यादों के दरवाज़े ...

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