1 Part
141 times read
9 Liked
हम तो ऐसे हैं की हर रंग मे ढल जाते हैं। ठोकरें खाते हैं हम और संभल जाते हैं। कांच के जिस्म में रखते हैं जिगर पत्थर का। कौन कहता है ...