इज़हार

0 Part

314 times read

8 Liked

जो हश्र मालूम होता इश्क़ का,तेरी कसम हम प्यार ना करते उल्फत का सिला ऐसा मिलेगा,होता पता तो ऐतबार ना करते चाहते उसको दिल ही दिल में,चाहत का हम इकरार ना ...

×