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जो हश्र मालूम होता इश्क़ का,तेरी कसम हम प्यार ना करते उल्फत का सिला ऐसा मिलेगा,होता पता तो ऐतबार ना करते चाहते उसको दिल ही दिल में,चाहत का हम इकरार ना ...