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रात की सवारी - डरावनी कहानियाँ रात के दो बज रहे थे. जोरों की बारिश हो रही थी. घना अँधेरा था. बादल रह-रहकर गरज रहे थे. थोड़ी-थोड़ी देर पर बिजली चमकती ...