लेखनी कविता - पुनः चमकेगा दिनकर -अटल बिहारी वाजपेयी

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पुनः चमकेगा दिनकर -अटल बिहारी वाजपेयी आज़ादी का दिन मना, नई ग़ुलामी बीच; सूखी धरती, सूना अंबर, मन-आंगन में कीच; मन-आंगम में कीच, कमल सारे मुरझाए; एक-एक कर बुझे दीप, अंधियारे ...

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