लेखनी कविता - जीवन की ढलने लगी साँझ -अटल बिहारी वाजपेयी

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जीवन की ढलने लगी साँझ -अटल बिहारी वाजपेयी  जीवन की ढलने लगी सांझ  उमर घट गई  डगर कट गई  जीवन की ढलने लगी सांझ।  बदले हैं अर्थ  शब्द हुए व्यर्थ  शान्ति ...

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