लेखनी कविता - हरी हरी दूब पर -अटल बिहारी वाजपेयी

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हरी हरी दूब पर -अटल बिहारी वाजपेयी  हरी हरी दूब पर   ओस की बूंदे   अभी थी,  अभी नहीं हैं|  ऐसी खुशियाँ   जो हमेशा हमारा साथ दें   कभी नहीं थी,  कहीं नहीं ...

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