लेखनी कविता - दो अनुभूतियाँ -अटल बिहारी वाजपेयी

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दो अनुभूतियाँ -अटल बिहारी वाजपेयी  पहली अनुभूति: गीत नहीं गाता हूँ  बेनक़ाब चेहरे हैं, दाग़ बड़े गहरे हैं   टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ  गीत नहीं गाता हूँ  लगी ...

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