लेखनी कविता - गाँधी -रामधारी सिंह दिनकर

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गाँधी -रामधारी सिंह दिनकर देश में जिधर भी जाता हूँ, उधर ही एक आह्वान सुनता हूँ। 'जडता को तोडने के लिए भूकम्प लाओ।  घुप्प अँधेरे में फिर अपनी मशाल जलाओ।  पूरे ...

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