लेखनी कविता -चांद का कुर्ता -रामधारी सिंह दिनकर

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चांद का कुर्ता -रामधारी सिंह दिनकर  हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला,  "सिलवा दो मां, मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।   सन-सन चलती हवा रात भर, ...

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