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पढ़क्कू की सूझ -रामधारी सिंह दिनकर एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे, जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे। एक रोज़ वे पड़े फ़िक्र में समझ ...