लेखनी कविता - परदेशी -रामधारी सिंह दिनकर

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परदेशी -रामधारी सिंह दिनकर माया के मोहक वन की क्या कहूँ कहानी परदेशी? भय है, सुन कर हँस दोगे मेरी नादानी परदेशी! सृजन-बीच संहार छिपा, कैसे बतलाऊं परदेशी? सरल कंठ से ...

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