लेखनी कविता - पर्वतारोही -रामधारी सिंह दिनकर

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पर्वतारोही -रामधारी सिंह दिनकर मैं पर्वतारोही हूँ।  शिखर अभी दूर है।  और मेरी साँस फूलनें लगी है।  मुड़ कर देखता हूँ  कि मैनें जो निशान बनाये थे, वे हैं या नहीं। ...

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