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रोटी और स्वाधीनता -रामधारी सिंह दिनकर आज़ादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जगाएगा ? मरभूखे ! इसे घबराहट में तू बेच न तो खा जाएगा ? आज़ादी रोटी नहीं, ...