लेखनी कविता - मेरे नगपति! मेरे विशाल! -रामधारी सिंह दिनकर

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मेरे नगपति! मेरे विशाल! -रामधारी सिंह दिनकर मेरे नगपति! मेरे विशाल! साकार, दिव्य, गौरव विराट, पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल! मेरी जननी के हिम-किरीट! मेरे भारत के दिव्य भाल! मेरे नगपति! मेरे ...

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