लेखनी कविता -वीर -रामधारी सिंह दिनकर

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वीर -रामधारी सिंह दिनकर सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं  स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं   सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, सूरमा नहीं विचलित ...

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