लेखनी कविता - शोक की संतान -रामधारी सिंह दिनकर

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शोक की संतान -रामधारी सिंह दिनकर हृदय छोटा हो,  तो शोक वहां नहीं समाएगा।  और दर्द दस्तक दिये बिना  दरवाज़े से लौट जाएगा।  टीस उसे उठती है,  जिसका भाग्य खुलता है। ...

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