लेखनी कविता -समुद्र का पानी -रामधारी सिंह दिनकर

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समुद्र का पानी -रामधारी सिंह दिनकर बहुत दूर पर  अट्टहास कर  सागर हँसता है।  दशन फेन के, अधर व्योम के।  ऐसे में सुन्दरी ! बेचने तू क्या निकली है, अस्त-व्यस्त, झेलती ...

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