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वातायन -रामधारी सिंह दिनकर मैं झरोखा हूँ। कि जिसकी टेक लेकर विश्व की हर चीज़ बाहर झाँकती है। पर, नहीं मुझ पर, झुका है विश्व तो उस ज़िन्दगी पर जो मुझे ...