लेखनी कविता - समर शेष है -रामधारी सिंह दिनकर

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समर शेष है -रामधारी सिंह दिनकर ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , किसने कहा, युद्ध की बेला चली गयी, शांति से बोलो? किसने कहा, और मत बेधो ...

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