6 Part
25 times read
0 Liked
श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन -तुलसीदास श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्। नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरम्। पट पीत मानहु तड़ित रुचि ...