लेखनी कविता -मोरे ललन -मीरां

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मोरे ललन -मीरां  जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।  रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे।  जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।।  गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे।  जागो ...

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