लेखनी कविता - पपइया रे, पिव की वाणि न बोल -मीरां

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पपइया रे, पिव की वाणि न बोल -मीरां  राग सावनी कल्याण  पपइया रे, पिव की वाणि न बोल।  सुणि पावेली बिरहुणी रे, थारी रालेली पांख मरोड़॥  चोंच कटाऊं पपइया रे, ऊपर ...

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