लेखनी कविता - कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा

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कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा  कौन मेरी कसक में नित, मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे लोचनों में, घुमड़ घिर झरता अपरिचित? स्वर्ण-स्वप्नों का चितेरा, नींद के सूने निलय में! ...

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