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अलि! मैं कण-कण को जान चली -महादेवी वर्मा अलि, मैं कण-कण को जान चली, सबका क्रन्दन पहचान चली। जो दृग में हीरक-जल भरते, जो चितवन इन्द्रधनुष करते, टूटे सपनों के मनको ...