लेखनी कविता -जाग तुझको दूर जाना -महादेवी वर्मा

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जाग तुझको दूर जाना -महादेवी वर्मा  चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! जाग तुझको दूर जाना! अचल हिमगिरि के हॄदय में आज चाहे कम्प हो ले! या प्रलय के ...

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