लेखनी कविता -मैं नीर भरी दुख की बदली! -महादेवी वर्मा

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मैं नीर भरी दुख की बदली! -महादेवी वर्मा  मैं नीर भरी दुख की बदली! स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा  क्रन्दन में आहत विश्व हँसा  नयनों में दीपक से जलते, पलकों में ...

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